जयपुर. राजस्थान की सरकार पर तीन साल पहले छाए संकट से तो जैसे-तैसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फतेह कर ली। लेकिन अब प्रदेश में आगामी चुनाव को देखते हुए आयोजित सभाओं में गहलोत फिर से मुखर हो गए हैं और बगावत करने वाले विधायकों पर हमला बोलने से नहीं चूक रहे। रविवार को धौलपुर के राजाखेड़ा में आयोजित सभा में सीएम गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार को गिराने के लिए भाजपा ने बड़ा षडय़ंत्र रचा था। हमारे कुछ विधायकों को पैसे बांट दिए थे। गहलोत ने इशारों ही इशारों में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों को आइना दिखाते हुए यह बयान दिया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अमित शाह को पैसे वापस लौटा दो वरना गुजरात के विधायकों की तरह दबाव में रहोगे।
गहलोत से पहले पायलट ने ललकारा, अब जवाब नहीं
गहलोत के इस सियासी बयान और पायलट खेमे को नसीहत के पहले दिन ही सचिन पायलट ने भी तीखे तेवर दिखाए थे। 6 मई को सचिन पायलट ने बाड़मेर में अपनी ही पार्टी की सरकार को ललकारा था। पायलट ने कहा था कि उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई तो कुछ लोगों को बुरा लगा, लेकिन उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है। पायलट बोले कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी। अगले ही दिन 7 मई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट को तगड़ा जवाब दे दिया। गहलोत के इस बड़े बयान के 24 घंटे बाद तक पायलट कैंप की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
अशोक गहलोत ने ऐसे किया तगड़ा हमला
सीएम गहलोत ने अमित शाह, धर्मेन्द्र प्रधान और गजेन्द्र सिंह शेखावत का नाम लेते हुए कहा कि भाजपा के नेताओं ने कांग्रेस की सरकार को गिराने की पूरी कोशिश की। हमारे कुछ विधायकों को पैसे बांट दिए थे। 10 से 20 करोड़ रुपए प्रत्येक विधायकों को दिए, लेकिन निर्दलीयों और अन्य विधायकों के सहयोग से सरकार बच गई। गहलोत ने पायलट और उनके समर्थित विधायकों पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन विधायकों ने भाजपा नेताओं से 10 या 20 करोड़ रुपए लिए हैं, वे रुपए वापस अमित शाह को लौटा दें। अगर उन रुपयों में से कुछ हिस्सा खर्च हो गया है तो खर्च का हिस्सा मुझ से ले लें या मैं एआईसीसी से दिलवा दूंगा, लेकिन अमित शाह को पैसे वापस लौटा दें। गहलोत ने कहा कि अगर उनके पैसे वापस नहीं दिए तो वे आपको डराएंगे, धमकाएंगे जैसे गुजरात में करते हैं।
गहलोत के बयान से घिर गए पायलट, समर्थक विधायक भी मौन
सचिन पायलट पिछले एक महीने से लगातार सरकार पर सियासी हमला करते आ रहे हैं। पायलट ने 11 अप्रेल को अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ अनशन किया था। इसके बाद पिछले एक माह में पायलट ने कई बार बयान दिए हैं कि विपक्ष में रहने के दौरान हम कांग्रेसी नेताओं ने जनता से वादा किया था कि पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए हजारों करोड़ रुपए के घोटालों की जांच कराएंगे। कांग्रेस को सत्ता में आए हुए साढे चार साल हो गए लेकिन सरकार ने अभी तक उन घोटालों की जांच नहीं करवाई है। पायलट कहते हैं कि अगर हमारी कथनी और करनी में अंतर होगा तो छह माह बाद हम वोट मांगने के लिए जनता के बीच कैसे जाएंगे। अब गहलोत ने जुलाई 2020 में पायलट और उनके समर्थकों की ओर से की गई बगावत को याद दिलाते हुए सियासी हमला किया है। पायलट ने इस मामले में अभी तक कोई सफाई नहीं दी है।
रुपए लिए हैं या नहीं, सस्पेंस बरकरार?
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार आरोप लगा चुके हैं कि बीजेपी करोड़ों रुपए देकर विधायकों को खरीदती है। कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में बीजेपी ने सरकारें गिराई थीं। राजस्थान में भी कई विधायकों को 10 से 20 करोड़ रुपए बांटे थे। सीएम गहलोत द्वारा इतना गंभीर आरोप लगाने के बावजूद भी सचिन पायलट और उनके समर्थकों की तरफ से कोई सफाई नहीं दी गई है। पायलट खेमे के विधायकों ने यह भी नहीं कहा है कि उन्होंने रुपए नहीं लिए हैं। पायलट खेमे की चुप्पी ने कई सवाल उठा दिए हैं। राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव हैं और गहलोत के इस आरोप के पास पायलट कैंप की ओर से बड़ा कदम उठाया जा सकता है। अब पायलट गुट के पास कई विकल्प हैं। पहला विकल्प तो यह है कि इस मामले में मुखर होकर गहलोत के आरोपों का खंडन किया जा सकता है। जबकि दूसरा विकल्प चुप्पी साध रखना है। और आगामी चुनाव में अधिक ताकत के साथ वापसी करने की रणनीति पर काम जारी रख सकता है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो पायलट गुट अब शांत बैठने वाला नहीं है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जाएंगे पायलट खेमा और अधिक सक्रिय होगा और कांग्रेस के लिए टेंशन बढ़ाएगा।
