जयपुर. राजस्थान की राजधानी जयपुर में वीरांगनाओं को लेकर एक बार सियासी बवाल मच गया है। एक ओर जहां भाजपा सड़क पर है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस सरकार में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बिना नाम लिए सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। एक के बाद एक कई नसीहतें सचिन पायलट ने सरकार और प्रशासन को दी। उन्होंने कहा कि देश में जवानों के परिवार ही नहीं शहीदों की वीरांगनाएं और उनके परिवार देश की संपत्ति है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि इनकी सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी सरकार से लेकर हम सबकी है। वहीं एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी के पिछले दिनों टोंक दौरे को लेकर सचिन पायलट ने चुटकी लेते हुए पलटवार किया और कहा कि राजस्थान में सबके स्वागत करने की परंपरा है। उन्होंने कहा कि चुनावी साल है। सब आएंगे, लेकिन तोडऩे की नहीं जोडऩे और विकास की राजनीति करने की जरूरत है।
दरअसल, पूर्व उपमुख्यमंत्री और टोंक विधायक सचिन पायलट बीते शुक्रवार को दो दिवसीय टोंक विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे, जहां निवाई से लेकर टोंक शहर तक जगह-जगह स्वागत किया गया। वहीं छावनी चौराहे पर रेल लाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष अकबर खान ने सैकड़ों महिलाओं के साथ स्वागत किया। सचिन पायलट ने सभा का स्वागत ही ओवैसी के बीते दिनों हुए टोंक दौरे पर बिना नाम लिए चुटकी लेते हुए कि कहा कि चुनावी साल है, कई नेता आएंगे, बड़ी-बड़ी बातें करेंगे. हर कोई तोडऩे की बातें करेगा. कोई धर्म के नाम पर, कोई जाति के नाम पर, लेकिन आप सब समझदार हैं। हम सबकों एकजुट होकर फिर से साल 2023 में जीत का परचम लहराना है।
किरोड़ी लाल मीणा से हुई थी बदसलूकी
जयपुर में राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा और विरांगनाओं के साथ हुए दुव्र्यहार पर बेबाकी से बोलते हुए सचिन पायलट ने कहा कि सबको धरना प्रदर्शन करने का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन किसी भी तरह से जवानों और विरांगनाओं को लेकर राजनीति नहीं होना चाहिए. जिन लोगों ने वर्दी पहनकर देश के लिए त्याग किया, शहादत दी, उन लोगों की तुलना करना ही संभव नहीं है। उनके परिजन ही देश की संपत्ति हैं। उनको संयोए रखना, मान-सम्मान देना हर सरकार की जिम्मेदारी है।
किया गया व्यवहार असहनीय
सचिन पायलट ने कहा कि विरांगनाओं का जो पैकेज है केंद्र और प्रदेश सरकार का, सबको मिला है। इसके अलावा भी जो मांगें थी, उन मांगों को संवेदनशीलता से हम उनको सुनते हैं। उनकी मांगे कितनी जायज हैं, कानून, संवैधानिक तरीके से हम सुलझा सकते थे। कारण कोई भी हो, कोई विरांगना अपनी बात को रखती है, उनको मानना नहीं मानना अलग बात है, लेकिन जिस तरह से उनके साथ व्यवहार किया गया, जो टीवी में देखा, वो असहनीय था।
जिस व्यक्ति ने भी इस तरह की कार्रवाई की है, उसके खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए। देश में ऐसा मैसेज नहीं जाना चाहिए कि हम वीरांगनाओं की बात नहीं सुन सकते हैं। किसी भी व्यक्ति को अपना अहम सामने नहीं लाना चाहिए. उनकी छोटी-छोटी मांगे थीं. पूरी की जा सकती हैं। जिस तरह से उनके दुव्र्यवहार किया गया है, वो सरासर गलत है। मेरे आवास पर भी बीते दिनों जब वो आई थीं, तब गुस्से में थीं। आक्रोश में थीं, लेकिन मैने बात की। जूस पिलाया और उनकी पीड़ा को आराम से सुना है।