जयपुर. राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसको लेकर कांग्रेस मिशन रिपीट का टारगेट लेकर तैयारियों में जुट गई है। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस टिकट वितरण की तैयारियों पर मंथन कर रही है। इसके लिए स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष और सदस्य जयपुर आए हुए हैं। सोमवार को कांग्रेस के वॉर रूम में बड़ी बैठक हुई जिसमें स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष, सदस्य, पीसीसी चीफ और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल रहे। बैठक में प्रदेश के जिलों से आए नेताओं से टिकट वितरण को लेकर उनकी राय जानी। इस दौरान बड़ा सुझाव ये सामने आया कि बड़े अंतर से हारे नेता को इस बार टिकट नहीं दिया जाए। साथ ही कुछ नेताओं ने ये भी सुझाव दिया कि मजबूत जनाधार वाले पूर्व सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा जाए ताकि पार्टी को इसका सीधा लाभ मिल सके। ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इन सुझावों को गंभीरता से लिया है। स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में आए सुझावों पर कांग्रेस अमल कर ये फॉर्मूला लागू कर सकती है।
4 दिन नेताओं से लेंगे सुझाव
स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष और सदस्य आगामी चार दिन तक अलग अलग नेताओं से सुझाव लेंगे। 29 अगस्त को जयपुर के कांग्रेस वॉर रूम में बैठक हुई। और 30 अगस्त को भी ये जारी रहेगी। जिनमें अजमेर, बीकानेर, सीकर, जयपुर, भरतपुर, कोटा और पाली संभाग से बुलाए नेताओं से सुझाव लिए जाएंगे। साथ ही जिन नेताओं ने टिकट के लिए दावेदारी पेश की है। उनके बारे में फीडबैक लिया जाएगा। बांसवाड़ा और उदयपुर संभाग के नेताओं से फीडबैक लेने के लिए 31 अगस्त को उदयपुर में बैठक होगी।
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ईआरसीपी बड़ा मुद्दा बनेगा
इस बार के चुनावों में कांग्रेस ईआरसीपी को बड़ा मुद्दा बनाने के मूड में है। चूंकि इस प्रोजेक्ट से राजस्थान के 13 जिले जुड़े हुए हैं। इन जिलों में 82 विधानसभा सीटें हैं। ईआरसीपी भाजपा की ओर से लाया गया प्रोजेक्ट है। भाजपा ही इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने का ऐलान कर चुकी है। पिछले 9 साल से भाजपा केन्द्र की सत्ता में है, लेकिन ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा नहीं दिया गया। इधर राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट को आगे बढाने के लिए 12 हजार करोड़ रुपए का बजट रखा है। ऐसे में कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाकर सीधे तौर पर 13 जिलों की 82 सीटों पर सीधा फायद लेने की कोशिश में जुटी हुई है।
